फिदा बाई छत्तीसगढ़ के नाच-गान म पारंगत देवार जात के बेटी रहिस। देवार डेरा म जनम के खातिर फिदा बाई बचपन ले अपन डेरा संग गांव-गांव घूम-घूम के नचई अउ गवइ करय, ओखर संग ड़ेरा के बड़े महिला मन तको नाचय-गावंय। देवार डेरा के पुरूष मन बाजा बजावंय अउ महिला मन नाचय, दाउ-गौंटिया अउ बड़े किसान के घर म नाच-गा के इनाम मांगय। फिदा बाई अपन डेरा म सबले सुन्दर अउ कोइली जइसे कंठ वाली रहिस ओखर सोर चारो मूड़ा बगरे लागे रहिस। इही समे मा नाचा के पुरोधा दाउ मदराजी ह फिदाबाई के गुन ला देख के अपन रवेली नाच पार्टी म सामिल कर लीस। दाउ मंदराजी अपन गम्मत मन म फिदा बाई मेर एक्का-दूक्का पाठ कराये लागिस।
फिदा बाई अपन पारंपरिक देवार नाच-गान के संगें संग नाचा म तको काम करते रहिस। डेरा के रीत के अनुसार फिदा के छुटपन म रोहित कुमार संग बिहाव होगे रहिस। फिदा बाई 24 साल के होवत-होवत चार झिन लइका के महतारी तको बन गे रहिस फेर ओखर रूप म कोनो अंतर नइ आये रहिस। रोहित कुमार संग फिदाबाई के खटपट अड़बड़ दिन ले चलत रहिस। फिदा बाई अपन कला के साधना, लइका के पालन पोसन अउ पति के सेवा सुसुरवा संग ख्टरपटर ले हलाकान रहिस। रोज रोज के मनमुटाव ले हार खा के सन 1966 म फिदा बाई रोहित कुमार ले अलग होगे। अउ लालूराम के रिंगनी नाचा पार्टी म सामिल होगे, रिंगनी नाचा पार्टी म तबके बड़े नामी गम्मतिहा मदन निषाद संग लालूराम के गम्मत के सोर चारो मूड़ा रहिस। फिदा बाई रिंगनी नाच पार्टी म परी के काम करे लागिस त रिंगनी नाच पार्टी के परसिद्धी अउ बाढ़गे।
अपन जिंदगी ला गम्मत बरोबर मनइया फिदा बाई हमर पारंपरिक नाचा के पहिली महिला कलाकार ये। येखर पहिली नाचा म पुरूस मन हा महिला के पाठ करंय, पुरूस मन ह परी, नचकरहीन बनय। फिदा बाई समाज के ठेकेदार मन के विरोध अउ हासी उड़इ ला अनदेखी करके, ताना मरइया मन ला भुलाके नाचा मा अपन अइसे जघा बनाइस के ओखर नाम हा अमर होगे। फिदा बाई रिंगनी साज के संगें संग दूसर नाच पार्टी मन म तको काम करे लागिस अउ कुछ समे तक अपन नाचा पार्टी तको बना ले रहिस फेर नाचा म रमे रहिस। फिदा बाई के नाचा म आये के पाछू महिला मन के नाचा म आये के रद्दा खुल गे ओखर बाद कई झिन महिला मन नाचा म आइन अउ अड़बड़ नाव कमाइन।
हबीब तनवीर जी जब नाचा के कलाकार मन ला एक-एक करके छांट-निमार के अपन संग लेगे लागिस त लालू राम संग फिदा बाई ला तको हबीब तनवीर जी ह लेगे। हबीब जी के अड़बड़ अकन नाटक म फिदा बाई ह महिला के माई पाठ करिन। अपन नाचा के दिनन ला सुरता करत फिदाबाई हा कहय के जब हम नाचा म काम करन त गांव के पढ़े-लिखे मन हमला हीन समझंय, नचकरहीन अउ परी के रूप म हमर हांसी उडाये जावय। अब नाटक म हमर अलगे सम्मान अउ आदर हावय।
फिदा बाई के लोककला बर समरपित जीवन बर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार देहे गीस, तहां तुलसी सम्मान तको देहे गीस। हबीब जी के चरनदास चोर ले लेके हिरमा के अमर कहानी तक जम्मो नाटक म फिदा बाई काम करिस। मिट्टी के गाड़ी म फिदा बाई ल बसंत सेना के पाठ करत देख के फिलिम कलाकार रेखा ह गदगद होगे अउ अपन ओला पोटार के बहुत बड़ई करिस।
संजीव तिवारी